यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने कहा कि सितंबर के अंत में शुरू हुआ यह प्रकोप 10 पश्चिमी स्टेट में फैला हुआ है, जिसमें से 49 मामले कोलोराडो और नेब्रास्का से सामने आए हैं.
रमेश दमानी ने आगे कहा कि ईरान-इजरायल में संघर्ष शेयर बाजार (Iran-Israel war Impact on Share Market) के लिए खराब है, लेकिन तेजी के बाजार में सभी चिंता फीकी रह जाती हैं.
जेवॉकिंग क्या है. क्या आप जानते हैं. भारत में इस शब्द का प्रयोग न के बराबर होता है. यह शब्द एक प्रकार का ट्रैफिक नियम है. यानी रोड क्रॉस (Road Crossing rule) करने के लिए एक नियम बना है. यह नियम सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए बना है. इससे सड़क पर पैदल चलने वाले और गाड़ी चलने वाले दोनों ही प्रकार के लोगों की सुरक्षा के लिए लागू किया गया है. इस नियम का पालन न करने वालों का चालान काटा जाता है.
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में एक बड़ा राज खोला. उन्होंने बताया कि उनकी पैदाइश ही भारत में हुई है. वो 1965 में पश्चिम बंगाल के कलिपोंग में पैदा हुए. उनकी केजी से कक्षा 10 तक की पढ़ाई भारत के ही स्कूल में हुई है.
बहराइच हिंसा के तीन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर सज़ा देने की भावना से यह कार्रवाई कर रही है.
61 वर्षीय सिनवार गाजा में युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने के बाद से ही अपने गार्ड्स और करीबियों के साथ इस बंकर में शरण लिए हुए थे. फुटेज में UNRWA द्वारा सप्लाई किया गया राशन भी दिखाया गया है
ईरान ने हमास के नए प्रमुख याह्या सिनवार के इजरायली सेना द्वारा मार गिराए जाने के बाद ईरान और लेबनान (Israel and Lebanon) के हिजबुल्लाह (Hezbollah) लड़ाके आग बबूला हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने कहा कि हमास आतंकवादी समूह के नेता याह्या सिनवार की हत्या से क्षेत्र में नाराजगी और गुस्सा और बढ़ेगा, जबकि लेबनान के हिजबुल्लाह आतंकी समूह ने कहा कि युद्ध में एक नया और तीव्र चरण आएगा.
इस मामले में अब आगे की कार्रवाई जारी है और दिन पर दिन इसमें नए-नए खुलासे हो रहे हैं. हाल ही में सामने आया है कि इस वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने फुल प्रूफ प्लानिंग की थी.
नायब सैनी (Who Is Nayab Saini) ने पहली बार साल 2010 में अंबाला जिले के नारायणगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन रामकिशन गुर्जर से हार गए. हालांकि बीजेपी की अंबाला इकाई में उन्हें ओबीसी चेहरे के रूप में पहचाना जाने लगा.