कैसे होगा अगले पोप का चुनाव? जब काला धुआं सफेद में बदल जाए तब… | Explained
2025-04-22 HaiPress
पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन
पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. वेटिकन ने सोमवार,21 अप्रैल को इस खबर की पुष्टि की. 2013 में पोप बने पोप फ्रांसिस के निधन के साथ अगले पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी. तो आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि अगला पोप कैसे चुना जाता है. इसका जवाब जानने के लिए हमें यह जानना होगा कि आखिर पोप होते कौन हैं और कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स क्या होता है? हम इस एक्सप्लेनर में पोप फ्रांसिस के बारे में भी जानेंगे.
पोप होते कौन हैं?
दरअसल पोप एक ग्रीक शब्द- पप्पास से निकला है. इसका अर्थ है 'फादर या पिता'. अगर सीधे शब्दों में कहें तो पोप दुनिया भर में कैथोलिक चर्च के लीडर होते हैं. इसाईयों के धर्मग्रंथ बाइबिल के अनुसार चर्च के प्रमुख के रूप में काम करने वाले पहले पोप सेंट पीटर थे.पोप फ्रांसिस कौन हैं?
पोप फ्रांसिस इस मामले में भी खास थे कि वो अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे. उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ. वैसे उन्हें जन्म के समय जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम मिला था. वह इटली से अर्जेंटीना आए अप्रवासियों के घर जन्में थे. जब वे पोप बने,तो उन्होंने इटली के शहर असीसी के सेंट फ्रांसिस से प्रेरित होकर फ्रांसिस नाम चुना. सेंट फ्रांसिस अपनी विनम्रता और गरीबों की सेवा के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे. मार्च 2013 में पोप फ्रांसिस को पोप के रूप में चुना गया. इसके साथ वो अमेरिका से आने वाले पहले पोप बन गए थे.कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स क्या होता है?
कार्डिनल दुनिया भर से आने वाले बिशप और वेटिकन के अधिकारी होते हैं. इन्हें व्यक्तिगत रूप से पोप द्वारा चुना जाता है. यह अपने खास लाल कपड़ों से पहचाने जाते हैं. इन्हीं कार्डिनल्स के समूह को कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स कहा जाता है.पोप को कैसे चुना जाता है?
फिर वहीं सवाल की अगले पोप कैसे चुने जाएंगें. यूनाइटेड स्टेट्स कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप की वेबसाइट के मुताबिक किसी भी वजह से पोप का पद खाली होने के बाद कार्डिनल वेटिकन सिटी में एक के बाद एक बैठक करते हैं. इस बैठक को सामान्य मण्डली (जनरल कॉन्ग्रेगेशन) कहा जाता है. इन बैठकों में वे वैश्विक स्तर पर कैथोलिक चर्च के सामने आने वाली जरूरतों और चुनौतियों पर चर्चा करते हैं. साथ ही वे अगले पोप के चुनाव के लिए भी तैयारी करते हैं,जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है. इस बीच ऐसे फैसले जो केवल पोप ही ले सकते हैं,जैसे बिशप की नियुक्ति या बिशप की धर्मसभा बुलाना,उसके लिए चुनाव के बाद तक का इंतजार किया जाता है. ऐसी बैठक में ही मृत पोप के अंतिम संस्कार और उन्हें दफनाने की व्यवस्था की जाती है.अब तक पोप के पद के खाली होने के 15 से 20 दिन बाद,कार्डिनल एक नए पोप के चुनाव में पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का आह्वान करने के लिए सेंट पीटर बेसिलिका में जमा होते आए हैं. केवल 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल ही किसी कॉन्क्लेव में वोट करने के पात्र हैं. उन्हें कार्डिनल इलेक्टर्स के रूप में जाना जाता है और उनकी संख्या 120 तक सीमित है. कॉन्क्लेव के लिए,कार्डिनल इलेक्टर्स सिस्टिन चैपल में जाते हैं और दरवाजे सील करने से पहले पूर्ण गोपनीयता की शपथ लेते हैं.ये कार्डिनल ही पोप के चुनाव के लिए गुप्त मतदान करते हैं. वे दो बार मुड़े हुए बैलेट पेपर को एक बड़े प्याले में डालते हैं. जब तक किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई वोट नहीं मिल जाते,तब तक हर दिन चार राउंड की वोटिंग होती है. हर राउंड के रिजल्ट को जोर से गिना जाता है और रिकॉर्डर बने तीन कार्डिनल उन्हें रिकॉर्ड करते हैं. यदि किसी को आवश्यक दो-तिहाई वोट नहीं मिलता है,तो बैलेट पेपर को चैपल के पास एक स्टोव में जला दिया जाता है और उनको काला धुंआ पैदा करने वाले केमिकल में जलाया जाता है.
नए पोप के चुनाव का संकेत देने के लिए सफेद धुआं पैदा किया जाता है
जब किसी एक कार्डिनल को जरूरी दो-तिहाई वोट मिल जाता है,तो कार्डिनल्स कॉलेज के डीन उससे पूछते हैं कि क्या वो पोप के पद पर अपने चुनाव को स्वीकार करते हैं. यदि वह स्वीकार करते हैं,तो वह अपने लिए एक पोप नाम चुनते हैं. फिर सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी में जाने से पहले पोप की पोशाक पहनाई जाती है. दुनिया को नए पोप के चुनाव का संकेत देने के लिए अंतिम राउंड के बैलेट पेपर को सफेद धुआं पैदा करने वाले केमिकल के साथ जलाया जाता है.आखिर में सीनियर कार्डिनल डीकन सेंट पीटर की बालकनी से घोषणा करते हैं कि 'हेबेमस पापम' यानी हमें पोप मिल गया है. इसके बाद पोप बाहर आते हैं और रोम शहर सहित पूरी दुनिया को अपना आशीर्वाद देते हैं.
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