ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन
2025-04-22 HaiPress
ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में,वेटिकन ने कहा कि पोप फ्रांसिस का निधन उनके निवास में हुआ.वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने घोषणा की कि पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया. फैरेल ने इस बारे में बताते हुए कहा,"आज सुबह 7:35 बजे,रोम के बिशप फ्रांसिस,फादर के घर लौट आए. उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था."
पोप फ्रांसिस के निधन पर 9 दिन का शोक मनाया जाएगा. पोप फ्रांसिस ने साल 2013 में पोप का पद संभाला था. वेटिकन द्वारा जारी एक बयान में कार्डिनल केविन फैरेल ने कहा,"प्रिय भाइयों और बहनों,मुझे बड़े दुख के साथ हमारे पोप फ्रांसिस के निधन की सूचना देनी पड़ रही है. आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप फ्रांसिस प्रभु के घर लौट गए. उनका पूरा जीवन प्रभु और उनकी चर्च की सेवा के लिए समर्पित रहा. उन्होंने हमें सुसमाचार के मूल्यों को निष्ठा,साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ जीना सिखाया,खासकर सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वालों के पक्ष में."
🔴BREAKING | ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन पर ईसाई समाज के जानकर जॉन दयाल ने क्या कहा,सुनिए #PopeFrancis | @anantbhatt37 | @GaurieD pic.twitter.com/BGaZeAlRCF
— NDTV India (@ndtvindia) April 21,2025
स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे पोप
हाल के साल में पोप फ्रांसिस की सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ रही थीं. 14 फरवरी को उन्हें ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 22 फरवरी को उनकी हालत गंभीर हो गई,जब उन्हें लंबे समय तक सांस की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा और उन्हें हाई प्रेशर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी. अगले दिन वैटिकन ने बताया कि पोप में प्रारंभिक और किडनी दिक्कतों के लक्षण दिखे.इस दौरान सेंट पीटर स्क्वायर में हजारों श्रद्धालु उनकी रिकवरी के लिए प्रार्थना करने पहुंचे थे. कई लोग रोम के उस अस्पताल में फूल और कार्ड लेकर पहुंचे,जहां उनका इलाज चल रहा था. 6 मार्च को पोप की आवाज पहली बार एक ऑडियो संदेश में सुनाई दी,जिसमें उन्होंने शुभचिंतकों का आभार जताया और कहा,"मैं यहां से आपके साथ हूं.
पोप फ्रांसिस से जुड़ी हुई खास बातें-
पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो (Jorge Mario Bergoglio) है.उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को ब्यूनस आयर्स,अर्जेंटीना में हुआ था.पोप फ्रांसिसपहले गैर-यूरोपीय पोप थे.फ्रांसिस 13 मार्च 2013 को पोप चुने गए,जब उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट XVI ने इस्तीफा दे दिया था,वे 266वें पोप थे.पोप फ्रांसिस ने कैमेस्ट्री साइंसमें डिग्री हासिल की और कुछ समय तक बतौर कैमेस्ट्री टेक्निशियनकाम किया. बाद में उन्होंने दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र की पढ़ाई की.वे 1958 में जेसुइट ऑर्डर में शामिल हुए और 1969 में पादरी बने.वे अर्जेंटीना के पहले जेसुइट पोप हैं.फ्रांसिस अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं. पोप बनने के बाद भी उन्होंने वेटिकन के भव्य महल में रहने से इनकार कर दिया और साधारण गेस्टहाउस में रहे. वे गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के लिए काम करने के लिए मशहूर हैं.2025 में उन्हें निमोनिया,किडनी फेल्योर और फेफड़ों में फंगल इंफेक्शन का सामना करना पड़ा.वे 14 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती हुए और 38 दिनों तक इलाज चला.ये भी पढ़ें :Pope Francis Dies: कुछ ऐसी रही अमेरिकी महाद्वीप पर जन्मे पहले पोप की जिंदगी
38 दिन बाद अस्पताल से वापसी
पोप फ्रांसिस 38 दिन तक अस्पताल में रहे,23 मार्च को वे जेमेली अस्पताल के बालकनी से 5 सप्ताह बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखे,जहां उन्होंने मुस्कुराते हुए भीड़ का अभिवादन किया. इसके बाद वे वैटिकन लौटे,लेकिन रास्ते में अपनी पसंदीदा बेसिलिका में रुककर उन्होंने मुलाकात की. तब जानकारी आई थी कि उनकानिमोनिया का इलाज सफल रहा,लेकिन फेफड़ों में फंगल इंफेक्शन के लिए लंबे समय तक दवा लेनी होगी,साथ ही श्वसन और शारीरिक फिजियोथेरेपी भी जारी रखनी होगी.नए पोप की नियुक्ति की प्रक्रिया
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद नए पोप की नियुक्ति के लिए कॉन्क्लेव प्रक्रिया शुरू होगी,जो आमतौर पर पोप के निधन के 15 से 20 दिनों के बीच आयोजित होती है. निधन से एक दिन पहले,पोप ने ईस्टर संडे सेवा के दौरान भीड़ का अभिवादन किया था और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की थी. उनके निधन से वैटिकन और विश्व भर के कैथोलिक समुदाय में शोक छाया हुआ है.ये भी पढ़ें:अपना देश,धार्मिक के साथ राजनीतिक नेता.. जानें बाकी धर्मगुरुओं से किस तरह अलग पोप