हिंदुओं पर हमले और बढ़ती हिंसा चिंताजनक : बांग्लादेश संकट पर भारत

2024-11-30 HaiPress

India On Bangladesh Violence: भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर चिंता जताई है.

India On Bangladesh Violence: बांग्लादेश संकट पर भारत ने एक बार फिर बयान जारी कर अपनी चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय की तरफ से आज कहा गया कि भारत ने लगातार और दृढ़ता से हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और कानून-व्यवस्था के मामलों को उठाया है. इन घटनाओं को केवल यह कहकर खारिज नहीं किया जा सकता कि मीडिया में बढा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है. हम आक्रामक बयानबाजी,हिंसा और उकसावे की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.

#WATCH दिल्ली: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा," जहां तक ​​बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की स्थिति का सवाल है,हमने विरोध को स्पष्ट कर दिया है। हमने बांग्लादेश के समक्ष यह मामला उठाया है कि उन्हें अल्पसंख्यकों की… pic.twitter.com/lUB3W13maq

— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29,2024

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और कारावास पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा,"हम इस्कॉन को सामाजिक सेवा के मजबूत रिकॉर्ड के साथ विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संगठन के रूप में देखते हैं. जहां तक ​​चिन्मय दास की गिरफ्तारी का सवाल है,हमने उस पर अपना बयान दे दिया है... व्यक्तियों के खिलाफ मामले और कानूनी प्रक्रियाएं चल रही हैं. हम उम्मीद करते हैं कि इन प्रक्रियाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा,जिससे इन व्यक्तियों और संबंधित सभी लोगों के लिए पूर्ण सम्मान सुनिश्चित किया जा सके..."

#WATCH दिल्ली: बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और कारावास पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा,"हम इस्कॉन को सामाजिक सेवा के मजबूत रिकॉर्ड के साथ विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संगठन के रूप में देखते हैं। जहां तक ​​चिन्मय दास की गिरफ्तारी का सवाल है,हमने उस… pic.twitter.com/YtOktholkC

— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29,2024

चिन्मय कृष्ण दास वो नाम है,जो आजकल बांग्लादेश की मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है. इस साल जुलाई में बांग्लादेश के युवा सड़कों पर उतर गए थे. युवा बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार की आरक्षण नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. इसके दवाब में शेख हसीना को इस्तीफा देकर भारत में शरण लेनी पड़ी थी. हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी थी. इसमें हिंदू और हिंदुओं की संपत्तियों को निशाना बनाया गया. इसके बाद से चिन्मय दास बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों और उनके उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने लगे. इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले चार महीनों में 38 साल के चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में एक जाना-पहचाना नाम बन गए हैं. आज वो बांग्लादेश में हिंदुओं के सबसे बड़े नेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं.

कब हुए गिरफ्तार

बांग्लादेश पुलिस की खुफिया शाखा ने सोमवार दोपहर उन्हें उस समय गिरफ्तार कर लिया था,जब वे ढाका से चटगांव जा रहे थे.उन्हें गिरफ्तार करने वाले पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में आए थे. बाग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी ने सोमवार रात एक बयान जारी कर चिन्मय दास के गिरफ्तारी की पुष्टि की थी.

क्या हैं आरोप

चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों पर चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का केस दर्ज है. इसमें इन लोगों पर 25 अक्तूबर को चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया है. जिस दिन यह मामला दर्ज कराया गया,उस दिन बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत ने अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर एक बड़ी रैली का आयोजन किया था. गिरफ्तारी के बाद चिन्मय दास को चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया. इसके बाद उन्हें ढाका की मेट्रोपॉलिटन पुलिस को सौंप दिया गया. उन्हें ढाका के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत में पेश किया गया. इस अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी.इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.चिन्मय दास के वकीलों ने उनकी गिरफ्तारी को आधारहीन बताया है.

चिन्मय कृष्ण दास ने कब संन्यास लिया

संन्यास लेने से पहले चिन्मय कृष्ण दास का नाम चंदन कुमार धर था. उनका जन्म चटगांव के तहसील सतकानिया के करियानगर गांव में मई 1985 में हुआ था.उनका मन बचपन से ही धार्मिक कामों में लगता था.उन्होंने 12 साल की उम्र में 1997 में संन्यास ले लिया था.संन्यास लेने के बाद उन्हें चिन्मय प्रभु के नाम से जाना जाने लगा. चिन्मय दास जब लोगों से मिलते हैं तो 'प्रभु प्रणाम' कहकर उनका अभिवादन करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह लेख अन्य मीडिया से पुन: पेश किया गया है। रिप्रिंट करने का उद्देश्य अधिक जानकारी देना है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह वेबसाइट अपने विचारों से सहमत है और इसकी प्रामाणिकता के लिए जिम्मेदार है, और कोई कानूनी जिम्मेदारी वहन नहीं करती है। इस साइट पर सभी संसाधन इंटरनेट पर एकत्र किए गए हैं। साझा करने का उद्देश्य केवल सभी के सीखने और संदर्भ के लिए है। यदि कॉपीराइट या बौद्धिक संपदा उल्लंघन है, तो कृपया हमें एक संदेश छोड़ दें।
© कॉपीराइट 2009-2020 ई-पत्रिका      हमसे संपर्क करें   SiteMap