बिरसा मुंडा से लेकर रानी कमलापति तक... पीएम मोदी ने जनजातीय संस्कृति से दुनिया को कराया रूबरू

2024-11-15 HaiPress

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मोदी का भारत के जनजातीय समुदाय के साथ बेहद व्यक्तिगत संबंध है. फिर चाहे किसी आदिवासी के घर में चाय सांझा करना हो,उनके त्योहार मनाना हो या फिर गर्व के साथ उनकी पोशाक पहनना हो. वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो आदिवासी समुदाय के साथ इतने घनिष्ठ संबंध रखते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आदिवासी समुदायों की आवाज और उनकी विरासत को आगे बढ़ाया है.

पीएम मोदी ने विश्व नेताओं को भेंट किए जनजातीय तोहफे

पीएम मोदी ने झारखंड की सोहराई पेंटिंग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भेंट की.उन्होंने ऑस्ट्रेलिया,ब्राजील,कुक आइलैंड्स और टोंगा के नेताओं को डोगरा कला में बनी कलाकृदितियां तोहफे के रूप में दी.मध्यप्रदेश की गोंड पेंटिंग उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा को दी.उज्बेकिस्तान और कोमोरोस के नेताओं को पीएम मोदी ने महाराष्ट्र की वार्ली पेंटिंग उपाहर के रूप में दी.

जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए दिए गए जीआई टैग

जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग दिए गए हैं. वोकल फॉर लोकल पहल के तहत आदिवासियों कारिगरों को सशक्त बनाने की कोशिश की जा रही है. 75 से अधिक जनजातीय उत्पादों को आधिकारिक तौर पर टैग किया गया है. इनमें निम्न उत्पाद शामिल हैं -

असम की जापी यानि बांस की टोपी.ओडिशा की डोंगरिया कोंध शॉल.अरुणाचल की याक चुरपी.ओडिशा में लाल बुनकर चींटियों से बनी सिमिलिपाल काई चटनी.बोडो समुदाय का पारंपरिक बुना हुआ कपड़ा बोडो अरोनई.

15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस की पीएम मोदी ने की थी घोषणा

300 से अधिक जनजाती विरासत संरक्षण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं. पीएम मोदी ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित कर भगवान बिरसा मुंडा को सम्मानित किया है. वह झारखंड के उलीहातू में बिरसा मुंडा के जन्म स्थान का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बनें. रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क और स्वतंत्रतासंग्रहालय का निर्माण भी कराया गया.

आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को पीएम मोदी ने किया सम्मानित

मोदी सरकार ने बिरसा मुंडा,रानी कमलापति और गोंड महारानी वीर दुर्गावती जैसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया है. गारो खासी,मिजो और कोल विद्रोह जैसे आंदोलनों को भी मान्यता दी गई है. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. मणिपुर के कैमाई रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी गाइदिन्ल्यू स्टेशन किया गया है.

देशभर में विकसित किए जा रहे स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय

इतना ही नहीं पूरे देश में स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय भी विकसित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आदि महोत्सव की शुरुआत 2017 में की गई. इसके तहत देशभर के अलग-अलग स्थानों में आदिवासी उद्यमिता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया गया है. जी 20 शिखर सम्मेलन में आदिवासी कारीगरों को उनके काम के लिए और भी अधिक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली.

जनजातीय प्रोडक्ट्स को दिया जा रहा बढ़ावा

जनजातीय और आदिवासी क्षेत्रिय प्रोडक्ट्स के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. अराकू कॉफी ने 2017 में पेरिस में अपनी पहली ऑर्गेनिक कॉफी शॉप खोली,जिससे वैश्विक बाजारों में उसका प्रवेश हुआ. इसी तरह छत्तीसगढ़ के निर्जलित महुआ फूलों ने फ्रांस समेत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बनाई है. शॉल,पेंटिंग्स,लकड़ी के सामान,आभूषण और टोकरियां आदि सामान विदेशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं.

ट्राइफेड के जरिए कारीगर परिवारों को किया जा रहा सशक्त

सरकार,ट्राइफेड यानी ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के आउटलेट्स राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ई-कोमर्स प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी के माध्यम के साथ इन प्रयासों का समर्थन करती है. नवंबर 2024 तक ट्राइफेड ने 2,18,500 से अधिक कारीगर परिवारों को सशक्त बनाया है. ट्राइब्स इंडिया के माध्यम से 1 लाख से अधिक आदिवासी उत्पादों की बिक्री को सुविधा मिली है.

भारत के जनजातीय समुदायों की विरासत को सही सम्मान देना,पीएम मोदी की प्रतिबद्धता है. यह उनकी सोच है जो आदिवासी समुदायों गहरी सांस्कृतिक जड़ों का सम्मान करती है,उन्हें सशक्त बनाती है और उनकी कहानियों को दुनिया के सामने ला रही है.

डिस्क्लेमर: यह लेख अन्य मीडिया से पुन: पेश किया गया है। रिप्रिंट करने का उद्देश्य अधिक जानकारी देना है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह वेबसाइट अपने विचारों से सहमत है और इसकी प्रामाणिकता के लिए जिम्मेदार है, और कोई कानूनी जिम्मेदारी वहन नहीं करती है। इस साइट पर सभी संसाधन इंटरनेट पर एकत्र किए गए हैं। साझा करने का उद्देश्य केवल सभी के सीखने और संदर्भ के लिए है। यदि कॉपीराइट या बौद्धिक संपदा उल्लंघन है, तो कृपया हमें एक संदेश छोड़ दें।
© कॉपीराइट 2009-2020 ई-पत्रिका      हमसे संपर्क करें   SiteMap