युद्ध और शांति : वोलोडिमिर जेलेंस्की और पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीरों में क्या छुपा है संदेश?

2024-08-24 ndtv.in HaiPress

पीएम मोदी एक तस्वीर में जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखे हैं,वे युद्ध से हुई तबाही की फोटो देख रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखे हैं...सामने युद्ध से हुई तबाही की एक तस्वीर नजर आ रही है.. वे जेलेंस्की को गले लगाए हैं...जेलेंस्की (Zelensky) के चेहरे पर युद्ध की पीड़ा तैरती दिख रही है... यह एकदम ताजा वीडियो और तस्वीरें हैं. पीएम मोदी शुक्रवार को यूक्रेन के दौरे पर पहुंचे और वहां उन्होंने जेलेंस्की से मुलाकात की. पीएम मोदी और जेलेंस्की की तस्वीरों में,उनका आत्मीयतापूर्ण मिलन,उनकी बॉडी लेंग्वेज कई संदेश देने वाली है. ढाई साल से अधिक वक्त से भीषण युद्ध की विभीषिका झेलते एक देश का दर्द और हमेशा से शांति के पक्षधर रहे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की सांत्वना...एक ऐसे त्रिकोण पर जहां एक कोने पर यूक्रेन है,दूसरे पर उसका दुश्मन रूस और तीसरे पर भारत,जो कि रूस का बहुत पुराना दोस्त है और यूक्रेन से भी जिसके सुसंबंध पुराने हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने जुलाई में रूस का दौरा किया था और अब अगस्त में वे यूक्रेन के दौरे पर पहुंच गए हैं. उनके इन दोनों देशों के दौरे ऐसे वक्त पर हो रहे हैं जब रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के हालात 10 साल से बने हुए हैं और फरवरी 2022 से युद्ध लगातार चल रहा है.

दुनिया की निगाहें पीएम मोदी पर

पिछले महीने जब पीएम मोदी रूस के दौरे पर गए थे तब यूक्रेन के पक्ष में खड़े पश्चिमी देशों की निगाहें उन पर टिकी रही थीं. अब जब वे यूक्रेन के दौरे पर हैं तो फिर एक बार दुनिया उनकी तरफ देख रही है. पहले जहां रूस ने यूक्रेन पर भीषण हमले करके उसे तबाह कर दिया,वहीं अब यूक्रेन ने आक्रामक हमले करके रूस के अंदर कुछ क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर लिया है. इस स्थिति में रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ बड़े हमले किए जाने की आशंका बनी हुई है.

रूस के बाद यूक्रेन के दौरे के क्या मायने?

शुक्रवार को यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने जेलेंस्की को गले लगाया. पूर्व में रूस की यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी गले लगाया था. इन दोनों वाकयों को लेकर दोनों पक्ष,जिनमें वे देश शामिल हैं जो या तो रूस के या फिर यूक्रेन के पक्ष में खड़े हैं,अलग-अलग अर्थ लगा रहे होंगे. पीएम मोदी ने जब रूस में पुतिन को गले लगाया था तो जेलेंस्की ने भी इसकी आलोचना की थी. अब जब उन्होंने जेलेंस्की को सांत्वना का संबल दिया तब रूस की क्या प्रतिक्रिया होगी? फिलहाल रूस की ओर से कोई बयान नहीं आया है,लेकिन बहुत संभव है कि राष्ट्रपति पुतिन इसको लेकर कुछ भी न कहें. इसके पीछे कारण यह है कि पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा का आधार तो उसी समय तैयार हो गया था जब वे रूस के दौरे पर थे. पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा पुतिन के लिए चौंकाने वाली घटना नहीं है.

भारत पर भरोसे से समझौते का रास्ता

पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा से पहले ही मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया कि वे रूस और यूक्रेन के बीच समझौते के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं. इसके पीछे सीधा सा कारण यह है कि भारत की नीयत पर न तो रूस को कोई शक हो सकता है,न ही यूक्रेन को. रूस को यह भरोसा पश्चिमी देशों के मामलों में नहीं है.


पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही पोलैंड में कहा था कि युद्ध कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी जेलेंस्की को युद्ध विराम पर सहमत करने की कोशिश करेंगे. वे दोनों देशों के बीच विवाद खत्म करने के लिए शांतिपूर्ण समाधान के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दे सकते हैं.

भारत के दोनों देशों से पुराने व्यापारिक रिश्ते

भारत के रूस और यूक्रेन से गहरे व्यापारिक संबंध हैं. भारत रूस से हथियार कई दशकों से लेता रहा है. रूस यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बाद से भारत रूस के सस्ता कच्चा तेल भी ले रहा है. दूसरी तरफ पिछले 25 वर्षों से भारत और यूक्रेन के व्यापारिक रिश्तों में भी गतिशीलता बनी हुई है. दोनों देशों के बीच वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3.3 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. इसी दौरान रूस और भारत के बीच लगभग 50 अरब डॉलर का व्यापार हुआ.

भारत का रूस के साथ रिश्तों का लंबा इतिहास

सोवियत संघ (USSR) का विखंडन सन 1991 में हुआ था और यूक्रेन एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था. उसके बाद यह पहला मौका है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन की का दौरा कर रहा है. भारत और रूस के गहरे संबंध भारत की स्वतंत्रता के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री के कार्यकाल से हैं. तब रूस और यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा थे. उस दौर में दुनिया की दो महा शक्तियों रूस और अमेरिका के बीच लंबा शीत युद्ध चलता रहा. तब भारत को साफ तौर पर रूस के पक्ष में माना जाता रहा. लेकिन सोवियत संघ के विखंडन और ग्लोबलाइजेशन के साथ भारत की अमेरिका से भी नजदीकी बढ़ती गई. पिछले दस सालों में पीएम मोदी ने भारत के दुनिया के देशों से रिश्तों की डोर काफी लंबी फैला ली है. यह कूटनीतिक,रणनीतिक,सामरिक,व्यापारिक संबंध हैं जो साझा विकास की आकांक्षा का आधार हैं.

भारत किसी भी युद्ध का समर्थक नहीं

भारत की विदेश नीति में शुरू से जो सबसे अहम चीज शामिल की गई थी वह यह थी किन्हीं भी दो देशों,या दो पक्षों के बीच संघर्ष या युद्ध के हालात में तटस्थ बने रहना. चाहे यूक्रेन-रूस युद्ध हो या फिर इजरायल-हमास का संघर्ष हो,भारत कभी भी किसी के पक्ष में खड़ा नहीं हुआ. भारत हमेशा युद्ध विराम,शांति का संदेश देता रहा लेकिन इसने कभी भी किसी एक देश के पक्ष में न तो कोई बयान दिया,न ही उसे युद्ध के लिए किसी तरह की मदद दी. यह रूस और यूक्रेन समेत पूरी दुनिया जानती है. दुनिया को आशा है कि पीएम मोदी के रूस और यूक्रेन को संदेश इन दोनों देशों के बीच संघर्ष खत्म कराने में कारगर होंगे.

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